ऑब्सेसिव कंपल्सिव डिसैडर्र- Obsessive Compulsive Disorder राकेश का ज़्यादा तर दिन जाँच पड़ताल मे बीतता हैं। उसे घर से बाहर निकलने में काफी समय लग जाता हैं क्योंकि वो हमेशा अशंकित रहता हैं कि उसने सारी खिड़कियाँ, लाइट और पंखो के स्विच बंद किए हैं या नहीं। वो हमेशा पाँच- छह बार देखता हैं कि उसने गैस बन्द की हैं या नही पर फिर भी उसका मन बेचैन रहता हैं इसलिए उसे सारे काम दुबारा से करना पड़ता हैं। कभी कभी अपने साथियो से सारी चीजे दुबारा से चेक करने के लिए कहता हैं । अगर वो ऐसा न करे तो उसे अजीब सी घबराहट होती हैं। उसे पता हैं कि यह बेवकूफी हैं फिर भी उसे महसूस होता है की अगर कोई बड़ी गलती हो जाए तो उसकी ज़िम्मेदारी उसपे जाएगी। इसी प्रकार रीना को लगभग पिछले 6-7 सालों से कुछ ज़्यादा ही साफ़ सुथरा रहने की आदत सी होगई हैं । अक्सर वो कुछ न कुछ धोती, पोंछती या सफाई करती रहती हैं यहाँ तक की वो भी अपने हाथों को दिन में कई बार धोती हैं जब तक की वह लाल न हो जाए । दिसम्बर-जनवरी की ठिठुरती सर्दी की रातों मे भी उन्हे ठन्डे पानी से अपना कमरा धोती रहती हैं। उसके परिवार वाले भी इन सब बातों से परेशान हो चुके हैं लेकिन वो उनके इस आदत को रोक नही पाते। इन दो इंसानों को पता हैं की इनका ये जो वहम हैं वह बेफिज़ूल की हैं फिर भी ये दोनों अपने आपको नहीं रोक पाते। मनोविज्ञान मे इस स्थिति को Obsessive–compulsive disorder (OCD) के नाम से जाना जाता हैं।
Obsessive Compulsive Disorder(ऑब्सेसिव कंपल्सिव डिसैडर्र) एक सोच और वहम की बीमारी हैं जिसमे कुछ गैरजरूरी विचार या आदतें किसी इंसान के दिमाग में कुछ इस तरह काबू कर लेते हैं कि वह इंसान चाहकर भी उन आदतों से बहार नहीं आ सकता। आपका दिमाग किसी एक बिचार को बार बार दोहराता रहेगा या फिर आप किसी एक काम को बार बार करते रहेंगे जब तक आपके मन को शान्ति न प्राप्त हो |
कैसे पता चलेगा कि आपको OCD हैं या नहीं – Symptoms of OCD
अगर किसी इंसान को OCD हैं तो वो दिन में बार बार अपने हाथों को साबुन से धोएगा। उसे चिंता या घबराहट लगी रहेगी कि कहीं उनके हाथ गंदे तो नहीं हैं या फिर उनमें जर्म्स तो नहीं हैं। चलते चलते सड़क पर बिजली के खंभों या पेड़ो को गिनने की तेज इच्छा होना या उन्हे छूते हुए निकलना, पैसों को बार बार गिनना, बार-बार नहाना या फिर दिन मे कई बार घर की सफाई करते रहना, कुछ विचार(thoughts) या छवि(images) मन में बार बार आते रहरहना जिससे इंसान उन पर काबू न पा सके। ऐसे लोगों मे किसी दूसरे इंसान को बिना बात पर नुकसान पहुँचाने की आशंका भी होती है इसलिए ये चाकू और आग जैसी चीजों से दूरी बनाकर रखते हैं। दूसरे लोगों की तुलना मे ज़्यादा परेशान हो जाना अगर चीज़ें बिल्कुल सही ढंग से या सही जगह पर न हो : उदाहरण के लिए अगर किताबें अलमारी मे ठीक ढंग से न रखी हों, अपने आप से लगातार बहस करते रहना कि इस काम को करुँ या दूसरे काम को करुँ, इस तरह इंसान एक छोटा सा निर्णय(Decision) भी नहीं ले पाना, दूसरों से बार-बार पूछते रहना कि सब कुछ ठीक हैं या नहीं , किसी एक काम को बार बार करना (Repeating)। उदहारण– एक ही चीज़ों को बार बार पढ़ना या लिखते रहेना। बेकार की चीज़ों को घर में जमा करना, जैसे खाली डिब्बे या पुराने फटे फटे हुए कपड़े। नैतिक या मूल्य पर हद्द से ज़्यादा ध्यान देना। अगर किसी व्यक्ति में इस प्रकार के लक्षण 6 महीने से ज़्यादा समय से हैं और अगर इस से उनकी दिनचर्या मे कोई प्रभाव पड़ रहा हैं तो उन्हे अॅब्सेसिव कंपल्सिव डिसैडर्र हो सकता हैं। लेकिन अगर किसी इंसान का दोहराने वाला व्यवहार खुशी देने वाला हैं तो यह OCD नहीं होता जैसे, जुआ खेलने की आदत, ड्रग्स लेना या शराब पीना।
क्यों होता हैं Obsessive Compulsive Disorder? OCD होने हा मुख्य कारण हैं मष्तिष्क (Brain) में कुछ खास किस्म के रसायनों (chemicals) के level में गड़बड़ी होना हैं, जैसे कि सेरोटोनिन (Serotonin) आदि। रिसर्च मे पाया गया हैं की OCD एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी मे आता हैं। अगर किसी के माता पिता को OCD हैं तो उनके बच्चो को भी OCD होने की संभावना होती हैं। अगर कोई इंसान साफ सफाई मे बहुत ज्यादा ध्यान देता हैं या हर काम को पूर्णता से करता हैं और ऊँचे नैतिक सिद्धान्तों वाले इंसान हैं, तो उसे OCD होने की ज्यादा सम्भावना होती हैं।
OCD कब शुरू हो सकता हैं? Obsessive–compulsive disorder किसी भी इंसान को किसी भी उम्र मे हो सकती हैं। इसकी लक्षण (symptoms) समय के साथ आ और जा भी सकते हैं। इस बीमारी का पहला पड़ाव हैं 10 से 12 साल के बच्चों का और दूसरा 20-25 साल पर शुरू हो जाता हैं। आंकड़ों पर गौर करें तो लगभग हर 50 में से एक इंसान को अपनी ज़िंदगी में ओसीडी हो सकता हैं। यानि ये इतनी असामान्य समस्या नहीं हैं, और अगर दुर्भाग्य से आपको या आपके किसी जानने वाले को हैं तो इसमें शर्म कि कोई बात नहीं हैं, बस किसी भी दूसरे बिमारी की तरह इसका इलाज करवाने ज़रूरत हैं। वहीँ जिन्हें ये बिमारी नहीं हैं उन्हें भी OCD से ग्रसित लोगों को अलग नज़र से नही देखना चाहिए, ये तो बस रासायनिक असंतुलन का रिजल्ट हैं और ये कल को किसी के साथ भी हो सकता हैं।
इसकी इलाज़ क्या हैं ? How to cure OCD
मामूली OCD वाले बहुत से लोग बिना इलाज के ही अपने आप ही ठीक हो जाते हैं। मध्यम से गम्भीर तीव्रता के OCD वालों को इलाज़ की जरूरत पड़ती हैं हालाकि किसी-किसी समय उनके लक्षण खत्म होते हुए दिखाई देते हैं, लेकिन कुछ समय बाद फिर से दिखाई दे सकते हैं।
तीव्र ओसीडी से पीड़ित लोगों मे तनाव या उदासी देखी जा सकती हैं। इनके लिए इलाज मददगार होगा। आजकल obsessive compulsive disorder के इलाज़ के आधुनिक तरीकों से मरीजों को काफी राहत देना संभव हैं। हाँ, इसके इलाज का असर का पता चलने में 6-7 हफ्ते या उससे ज्यादा समय भी लग सकता हैं। इसके इलाज़ में जितना दवाइयों का महत्व हैं उतना ही महत्व मनोवैज्ञानिक पद्धति से इलाज का हैं जिसे psychotherapy (मनोचिकित्सा) कहा जाता हैं। कई लोग शर्म की वजह से (लोग क्या कहेंगें) या उनपर पागलपन का धब्बा लगने के ड़र से मनोवैज्ञानिक समस्याओ को छुपाते हैं और तकलीफ़ों को सहन करते रहते हैं जिसकी वजह से तकलीफ और ज्यादा बढ़ जाती हैं। यह रवैया दिक्कत को कम करने की बजाय ओर बढ़ा देता हैं। विश्व के कुछ महान लोग थे जिन्होने इस समस्या के बावजूद विश्व मे खूब नाम कमाया जिनमे अल्बर्ट आइंस्टीन, चार्ल्स डार्विन, म्यूजिशियन लुडविग वैन बीथोवेन, माइकल जोसेफ जैक्सन, बहुमुखी कलाकार माइकल एंजेलो का नाम शामिल हैं। अगर आपको या आपके आस पास किसी को भी किसी भी प्रकार की मनोवैज्ञानिक समस्या हैं तो किसी मनोविज्ञानी या मनोचिकित्सक के पास जरूर जाए। इसका इलाज मनोवैज्ञानिक उपचार से बहुत आसानी से किया जा सकता हैं। दोस्तों, अंत में एक बात कहना चाहूँगा, जब हम किसी बिमारी के बारे में पढ़ते हैं तो कहीं न कहीं हमें महसूस होने लगता हैं कि इसके लक्षण तो हमारे अन्दर भी हैं। अधिकतर लोग इसके बारे में कुछ देर सोचते हैं और फिर नार्मल हो जाते हैं, पर कुछ लोग इस विचार से निकलने में अधिक वक़्त लेते हैं। इसलिए अगर OCD के बारे में पढ़ने के बाद आपको ऐसे विचार आ रहे हैं कि ये बिमारी आपको भी हैं तो आप चिंता न करें, समय के साथ साथ ये नार्मल हो जाएगी । वहीं दूसरी तरफ अगर गंभीरता से इसके लक्षण आपसे मैच करते हैं तो इस यथार्थ बात को साहसपूर्वक सामना कीजिये और इस बिमारी को जड़ से उखाड़ फेंकिये!